झूठ और नफ़रत से से देश को शुद्ध रखने के लिए मुहब्बत और भाईचारा का एंटी बायोटिक देश के DNA में मौजूद है

संघ की उत्पत्ति से लेकर आज तक देश के सीधे सादे बहुसंख्यकों को मुस्लिमों का डर दिखाया जाता रहा है। असल में डर एक ऐसा राजनीतिक अस्त्र है, जिससे समाज में आसानी से बिखराव किया जा सकता है। देश की एकता और अखण्डता को तोड़ने की कोशिश करने वाले हमेशा से इस मुल्क को कभी धर्म के आधार पर तो कभी क्षेत्र व भाषा के आधार पर बाँटने की कोशिश करते रहते हैं।
कभी ऐसा लगता है, जैसे ये प्यारा मुल्क इनकी इन नापाक साज़िशों का शिकार हो चुका है। पर उस वक़्त तसल्ली मिलती है, जब लोग इन नफ़रतवादियों को अपनी मुहब्बत की मिसालों से नाक़ाम कर देते हैं।



असल में वर्तमान भारत का निर्माण ही देश की अनेकता में एकता के कांसेप्ट के साथ हुआ है। यहाँ कई धर्मों के लोग हैं, सभी को अपने धर्म पालन का अधिकार है। बेशक़ इस मुल्क में हिन्दू बहुसंख्यक हैं, तो मुस्लिम दूसरी सबसे बड़ी बहुसंख्यक आबादी है। दोनों ही अपने अपने धर्मों के पालन का अधिकार रखते हैं। यह अधिकार भारत के नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है। लोग यहाँ ईद भी मनाते हैं और दीवाली भी, दोनों हो त्यौहार मनाने वाले साथ उठते हैं, साथ बैठते हैं। पढाई के दौरान अगर किसी दूसरे शहर में रहते हैं, तो साथ रहना और खाना भी करते हैं। एक दूसरे की ज़रूरतों पर काम भी आते हैं, दूसरे के दुःख को अपना दर्द समझते हैं।

आज भी देश में कई जगह बुज़ुर्गों को सम्मान देते हुए कहीं रहीम चाचा तो कहीं रामू काका को गाँव के सभी लोग समान रूप से सम्मान देते हैं। देश में जो लोग बेवजह का डर फैलाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकना चाहते हैं।
उन्हें जान लेना चाहिये- कि इस देश की एकता और अखण्डता को उनके द्वारा बनाये गए झूठ और नफ़रत के धुओं से शुद्ध करने के लिए मुहब्बत और भाईचारा के रूप में एंटी बायोटिक देश के DNA में मौजूद है।

जय हिन्द, जय भारत की एकता

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