वर्तमान समय में मीडिया का स्वरुप वीभत्स हो चुका है


मीडिया नफ़रत फ़ैलाता है, मसाले के लिए झूठ फैलाता है। TRP के लिए एक समुदाय को दूसरे समुदाय से लड़ाता भी है, पैसा मिले तो ख़बरें छुपाता भी है।
धर्म की पहचान उस वक़्त बताता है, जब आरोपी मुस्लिम हो। यदि उस मुस्लिम आरोपी को कोर्ट आरोपमुक्त कर भी दे तो मीडिया चुप्पी साधा रहता है, पर यदि आरोपी मुस्लिम न हो तो एंकर चीखता चिल्लाता बताता है, कि फलाने को क्लीनचिट मिल गई। शाखा जाने की ज़रूरत नहीं, मीडिया ऐतिहासिक घटनाओं पर स्पेशल शो चलाकर एक साथ बहुत बड़े समूह के दिमाग में इतिहास का बंटाधार करते हुए नफ़रत फ़ैलाता।
वर्तमान मीडिया तो साम्प्रदायिकता का समुन्दर बन चुका है, यहाँ हर तरह की सांप्रदायिक मछलियाँ और मगरमच्छ मिलेंगे। जिनकी खुराक सिर्फ और सिर्फ नफरत और झूठ फैलाना है, कभी कभी इनकी साम्प्रदायिकता लिबरल बनने की कोशिश करती है। कभी ये खुदका मुखौटा बदलने की कोशिश में नास्तिक बनने का असफल ढोंग करते हैं। कुल मिलाकर वर्तमान समय में मीडिया का स्वरुप वीभत्स हो चुका है। इतना वीभत्स की ये देश की शांति,सेकुलरिज़्म और लोकतंत्र को निगल रहा है।

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