आप देशभक्ति करिये और हमें देशप्रेमी ही रहने दीजिये।


बस इतना समझ लीजिये! मामला ज़बरदस्ती कोई भी कार्य करवाने का है। विरोध हर बार देशभक्ति का सुबूत देने का है। थोपा थापी से बचिये, आप देश की पहचान को बट्टा लगा रहे हैं।
मैं कोई ओवैसी का सपोर्टर नही पर यदि कोई व्यक्ति भारत माता की जय न बोलकर "जय हिन्द या हिंदुस्तान ज़िंदाबाद" बोल रहा है, तो बुराई किस बात की है।
"मैं स्वयं देश का सम्मान करता हूँ, अपने मुल्क से मुहब्बत करता हूँ। मैं खुदको देशप्रेमी कहता हूँ। पर आप मुझसे देश की वन्दना(वन्दना,उपासना,स्तुति या इबादत) के लिए कहेंगे, तो माफ़ करना ऐसा नहीं हो सकता। आप इसके लिए ज़बरदस्ती भी नहीं कर सकते। क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, इसलिये मुझे अपने धर्म पालन का अधिकार मेरा संविधान देता है। आदर,सम्मान और वन्दना,भक्ति दो अलग अलग चीज़ें। कोई भी मुस्लिम देश की इबादत,भक्ति या उपासना नहीं करता बल्कि देश का आदर व सम्मान करता है।
अब आप ज़बरदस्ती देश की वन्दना करने को कहेंगे तो ये गलत बात है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है उसे धर्मनिरपेक्ष ही रहने दीजिये। अपने अपने धर्म की धार्मिक मान्यताओं और विशवास को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के साथ मत जोड़िये। यदि आप अपनी आस्था के अनुसार कुछ कहते हैं, तो वो आपकी धार्मिक आस्था है उसे दूसरों पर मत थोपिये। अपनी आस्थाओं को राष्ट्र के साथ जोड़कर दिखाने का जो खेल जारी है, उससे आपके दिल को भले ही सुकून मिल जाए पर राष्ट्र की एकता और अखण्डता छलनी छलनी हो रही है। भारत माँ या भारत माता कहने और न कहने में कोई बुराई नहीं है। पर भारत माता की काल्पनिक मूर्ती आपके लिए आस्था का केंद्र हो सकती है पर किसी मुस्लिम के लिए नही। क्योंकि मामला आस्था से जुड़ा है। आप मूर्तिपूजा में आस्था रखते हैं और मुस्लिम मूर्तिपूजा में आस्था नहीं रखते। जोकि एक खुला और जगजाहिर सत्य है।इससे आप मुल्क की मुहब्बत को नहीं नाप सकते। हर बार इसी तरह की चीज़ों से पूरे मुस्लिम समुदाय के देशप्रेम पर सवाल नही उठा सकते। बन्द करिये ये घिनौना खेल। आप देशभक्ति करिये और हमें देशप्रेमी ही रहने दीजिये।
आपको कोई अधिकार नही है एक धर्मनिरपेक्षराष्ट्र पर धर्म को थोपने का। हमारे संवैधानिक मूल्यों और अधिकारों की रक्षा हम करते रहेंगे।
जय हिन्द ----- जय भारत की एकता

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