ये विकास नहीं बल्कि नफरत का मॉडल है

याद करिए उस दौर को जब संघ और भाजपा जैसे नफरत के वाहक नहीं थे! किस तरह लोग आपस में मुहब्बत के साथ रहा करते थे! भाषाएँ धर्म का दामन नहीं थामे हुई थीं! तभी तो उर्दू साहित्य के लेखक का नाम मुंशी नवाबराय था जो हिंदी में मुंशी प्रेमचंद के नाम से लिखा करते थे! इक्का दुक्का नफरत के वाहक उस दौर में भी थे, पर इस देश की जनता उन्हें दाना तक नहीं डालती थी! पर एक दौर ऐसा आया की नफरत के सौदागरों ने नफ़रत की नदियाँ बहा दीं! ऐसी नफ़रत की अब रहीम चाचा को चाचा कहने वाले राम और श्याम अब उन्हें मुल्ला कहते हैं! अब खान,शैख़ और अंसारी सरनेम रखने वाले आतंकवादी और देशद्रोही कहलाते हैं! नाम काफी है पकिस्तान और तालिबान से रिश्ता जोड़ने के लिए ! अपने-अपने हिसाब से और विचारधारा के हिसाब से राष्ट्रवाद को परिभाषित करने वाले लोग अपने हर विरोधी को राष्ट्रविरोधी घोषित कर देते हैं!
नफरत का आलम ये है,की मीडिया में बैठे चंद कोकरोचनुमा तिहाड़ी पत्रकार देशभक्ति पर लेक्चर देते हुए ख़बरों का डीएनए पेश करते हैं! हर खबर के डीएनए से मोदीभक्ति और संघ का घटिया ज्ञान कूट कूट के बाहर आता है| हर किसी को अपने हिसाब से एक तमगा दे दिया जाता है! 


हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर नफरत को जिस तरह बढ़ावा दिया जारहा है| एक बड़े वर्ग ने यही सब सोचकर 2014 में नरेंद्र मोदी को वोट दिया था| यदि आप सोचते हैं कि नरेंद्र मोदी को विकास के नाम पर वोट दिया गया है तो ये आपकी सबसे बड़ी गलतफ़हमी है! क्योंकि गुजरात दंगों के बाद मोदी एक बड़े वर्ग के लिये किसी हीरो से कम नहीं था! चुनाव के समय बार-बार गुजरात मॉडल का ज़िक्र सुनने को मिलता था, यही है वोह गुजरात मॉडल ! जिसमे नफरत को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है| एक दूसरे को लेकर नफरत फैलाना! बड़े दंगे नहींबल्कि छोटी मोत्ती झडपों को अंजाम देना! फिर 100-150 अल्पसंख्यक युवाओं को उठाकर जेल के कमरे भर देना ! यही तो है गुजरात मॉडल, अल्पसंख्यक और दलित कल्याण योजनाओं को लागू न करना ! दलितों के साथ अत्याचार में बढ़ोतरी होना! आदिवासियों से उनकी ज़मीन छीनना,यही सब तो है गुजरात मॉडल| बीच-बीच में स्वयंभू भगवान यानी बाबाओं के ज़रिये देश की जनता से भावनात्मक खेल खेलना ! ताकि लोगों का ध्यान गिरती अर्थव्यवस्था पर न जाए और लोग अपने साथ हो रहे अत्याचार को भूल जाएँ! उच्च शिक्षा के स्तर को गिराकर युनिवार्सिटीज़ में संघ की शाखाओं को अनिवार्य कराया जाये और जो विरोधी हो उसे देशविरोधी घोषित कर दिया जाए!
यही तो है गुजरात मॉडल, जो वास्तम में विकास नहीं बल्कि नफरत का मॉडल है!

Comments