आखिर लवलेटर कब तक

आखिर इतना ढीलापन क्यों ? क्या शहीदों की ज़िन्दगी की कोई कीमत नही, देश की अस्मिता पर हुए हमले का कोई जवाब नही। आखिर कहाँ हैं वो शूरवीर जो जब सत्ता मे नही थे, तो बड़ी बड़ी बाते किया करते थे। ऐसा लगता था, मानो सत्ता मे आते ही पूरा विश्व जीत लेंगे। सत्ता मे आते ही पाकिस्तान और चीन तक सीमायें एक कर देंगे। पर उन्हें वोट देने वालों ने जो सोचकर वोट दिया था, हुआ बिल्कुल उसका उल्टा।
            आखिर हुआ क्या है, कि पिछले डेढ़ साल मे देश की सीमाओं पर हो रहे हमलों का माकूल जवाब देंने पर हमारी सरकार नाकाम साबित हुई है। भारत और पाकिस्तान के बीच मे एक ही शर्त में बातचीत हो सकती है। जब पाकिस्तान अपने देश मे बैठे गुनाहगारों पर ठोस कार्यवाही करे। मोदी सरकार पाकिस्तान से दोस्ती को आतुर दिखाई पड़ रही है और पाकिस्तान भारत के विरुद्ध सडयंत्र रचने वालों को अपने देश मे पनाह देकर बैठा है। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के प्रधानमन्त्री रहते पाकिस्तान को उसी की भाषा मे जवाब देने की बात कही थी। देखना ये है कि क्या वो अब पाकिस्तान को उसी की भाषा मे जवाब देंगे या पाकिस्तान के हर हमले के जवाब मे लव लेटर ही लिखते रहेंगे।

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