रिप्लाई टू टेररिज़्म पार्ट-2 (ये जिहाद नही आतंकवाद है)

आतंकवादियों ने आतंक को जिहाद का नाम देकर लफ़्ज़े जिहाद को खूब बदनाम किया है। जिहाद का मतलब आतंक फैलाना नही होता। पर आतंक के सौदागरों ने अपने फायदे के लिए आतंकवाद को धार्मिक कृत्य जिहाद से जोड़ने मे बिल्कुल भी परहेज़ नही किया। उन गुमराह मुसलमानों (ख्वारिजीन) की इन अधकचरा नॉलेज की वजह से,क़ुरआन की आयतों और हदीसों का अपने मतलब के हिसाब से एक्सप्लेनेशन दिया गया। इसी वजह से आतंकवाद (दहशतगर्दी) को बढ़ावा मिला। उन्होंने जिहाद के मायने और मतलब को बदल कर रख दिया। इस्लाम का नाम लेकर ये जो खून ख़राबा किया जा रहा है। पर देखने वाली बात ये है, कि क्या इस्लाम इस खूनखराबे की इजाज़त देता है। क्या आईसिस ISIS का खून ख़राबा जिहाद है ?

जिहाद का शाब्दिक अर्थ-

"जिहाद अरबी भाषा के शब्द "जहदा" से बना है। जिसका अर्थ होता है, संघर्ष करना। ये संघर्ष किसी भी प्रकार का हो सकता है।"

इस्लामिक परिपेक्ष्य मे निम्न प्रकार के संघर्ष को जिहाद कहा जाता है👇
1) अपनी नफ़्स (स्वयं) को बुराई करने से रोकना, अर्थात कैसी ही परिस्थिति हो अच्छी य बुरी, आपका दिल व दिमाग़ आपको किसी भी बुराई की ओर धकेले। और आप अपना दामन बचाते हुये उस बुराई से दूर रहें। जिसे कुछ विद्वान 👉 जिहाद बिन नफ़्स भी कहते हैं।

2) जब आपका हक़ आपसे छीना जाये, तो अपने हक़ के लिये किये जाने वाले संघर्ष और लड़ाई को भी इस्लामिक परिपेक्ष्य मे जिहाद कहा जाता है।

3) जब आप पर ज़ुल्म किया जा रहा हो, तो ज़ुल्म के विरुद्ध आवाज़ उठाना भी एक प्रकार का जिहाद है।

4) बुराई या गलत कार्यों को रोकने पर आने वाली कठिनाईयों से संघर्ष को भी जिहाद कहा जाता है।

आतंकवादियों के कृत्य जिन्हें वो इस्लाम का नाम देते हैं-
👉 आतंकवादी कहीं पर भी आतंकी घटना को अंजाम देकर उसे जिहाद का नाम दे देते हैं।
👉 आतंकी ( दहशतगर्द) बम ब्लॉस्ट कर उसे इस्लाम से जोड़ देते हैं।
👉 लोगों को किडनैप कर उन्हें मारने की भी घटनाएँ अब न्यूज़ मे सुनाई दे रही हैं।
👉 सुसाईड बोमबिंग भी आतंकियों का पसंदीदा तरीक़ा कहा जाता है।
जिसकी शुरूआत दक्षिण भारतीय आतंकी संगठन लिट्टे ने की थी।

👆आतंकियों के उपरोक्त प्रकार के सभी तरीकों  को इस्लाम के परिपेक्ष्य मे परखते हैं। कि ये जिहाद है या जिहाद के नाम पर परोसा जा रहा आतंक!
1) पहले,दूसरे और तीसरे तरीके मे आतंकवादी कहीं भी किसी को भी बेगुनाह शख्स को मारकर उस हत्या को जिहाद का नाम दे देते हैं।

जब हम क़ुरआन का अध्यन करते हैं, तो सुरह माएदा: मे इनके इस कृत्य का जवाब मिलता है।
अल्लाह तआला फ़रमाता है
👉 जिसने किसी बेगुनाह इंसान को मारा उसने पूरी इंसानियत को मारा, और जिसने किसी बेगुनाह इंसान की जान बचाई उसने पूरी इंसानियत की जान बचाई।

2) सुसाईड बोमबिंग यानि आत्महत्या - नाम से ही गैरइस्लामिक कृत्य। आतंकियों के इस कृत्य से दो गैरइस्लामिक घिनौने कार्यों को अंजाम दिया जाता है। पहला गुनाह तो ये है ही कि वो बेगुनाह लोगों को मारते हैं। दूसरा गुनाह आत्महत्या है, जिसकी इस्लाम मे कोई जगह नही।
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अगले लेखों मे पढ़ें-

✏ क़ुरआन की जिहाद वाली आयतों की हदीस की रौशनी मे व्याख्या
✏ आईसिस ISIS एक शैतानी संगठन है
✏ विश्व के विख्यात इस्लामिक विद्वानों का ISIS और आतंक के विरुद्ध फतवा
✏ आतंकी संगठनों का पोस्टमार्टम
✏ आतंकवाद तो आतंकवाद है

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