रिप्लाई टू टेररिज़्म - पार्ट 1(इंट्रोडक्शन)

आईसिस, ISIS या IS, आप जो कहना चाहें। इस वक़्त आतंक का पर्याय बन चुका एक खूंखार आतंकवादी संगठन। एक ऐसा संगठन जिसके पास इंसानी जान की कोई कीमत नही। आप इसे इस्लाम का नाम लेकर पूरी दुनिया मे इस्लाम को बदनाम करने वाले गैरइस्लामिक कामों को अंजाम देने वाला एक शैतानी संगठन।
2013 के आखिर मे और 2014 की शुरुआत मे  ईराक़ और सीरिया मे एक आतंकवादी संगठन के उदय की खबर पूरी दुनिया मे फैलने लगी थी। आतंक के इस चहरे ने जिस तेज़ी से दुनियाभर ईराक़ और सीरिया मे अपनी पकड़ बनाया, वह पूरे विश्व के लिए अकल्पनीय था। इसके इस तेज़ी से फ़ैलने की वजहों मे से एक वजह जो सुनी जाती है, वो ये कि इस संगठन ने ऑनलाइन भर्ती और युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए इंटरनेट का उपयोग किया। खबरें ये भी मिली की इस आतंकी संगठन ने अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग किया। ईराक़ और सीरिया मे पहले ही अशांति फैली हुई थी। अस्थिरता का फायदा उठाकर ईराक़ और सीरिया के बड़े हिस्से पर आईसिस ने क़ब्ज़ा करना शुरू किया। युवाओं को आकर्षित करने के लिए खुदको इस्लामिक स्टेट कहना भी शुरू किया। जिससे कुछ नासमझ युवाओं का इस संगठन की ओर झुकाव हुआ और दुनिया भर से युवाओं के ईराक़ और सीरिया जाने की खबरें सुनाई देने लगीं। जैसे ही मुस्लिम विद्वानों को इसके बढ़ते प्रभाव और इस्लाम का नाम लेकर गैरइस्लामिक कार्यों का अंदाज़ा हुआ, सऊदी अरब और पूरी दुनिया के बड़े मुस्लिम विद्वानों ने इसके विरुद्ध युवाओं को चेताना शुरू कर दिया था। अरबी मे आईसिस को दाईश नामक संगठन के नाम से जाना जाता है।
          आईसिस या दाईश के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सऊदी अरब के ग्रैण्ड मुफ्ती अब्दुल्लाह बिन अब्दुलअज़ीज़ आले शैख ने सबसे पहले फ़तवा जारी कर आईसिस को Eक शैतानी संगठन क़रार दिया था। आईसिस के काले कारनामों और इसके गैरइस्लामिक कार्यों और इस्लाम का नाम लेकर करने वाले सारे गैरइस्लामिक कार्यों पर देखिए एक रिपोर्ट।
अगले लेख में .....
आतंकवाद के विरुद्ध हमारी लड़ाई मे साथ बने रहें । लेख पसंद आये तो शेयर करना न भूलें!

Comments