इन्हें राष्ट्रनिर्माण से कोई मतलब नहीं, इनका देश के विकास से कोई सरोकार नहीं


अजीब बात है न, जिनका आज़ादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं! जिनके आदर्श वीर और नेता लोग अंग्रेजों के चमचे थे| जिनका भारतभूमि को तोड़ने के सिवा और कोई योगदान नहीं रहा, वोह लोग अब स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर ऊँगली उठा रहे हैं! शुरुआत तो ये अपनी शाखा से कर चुके थे, पर अबवोह शाखाई झूठ देश को परोसने की कोशिश कर रहे हैं| टीपू से लेकर गांधी जी तक, हर किसी के लिए इनकी जुबां में ज़हर ही ज़हर है|
बांटने की हद्द तो देखो, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी धर्म और विचारधारा के आधार बांटने की कोशिश कर रहे हैं ये लोग! बिहार ने इन्हें, इनकी इन्ही हरकतों का जवाब दिया है, पर ये हैं की सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे| बात टीपू की नहीं, बात मज़हब और धर्म के चश्मे की है| वर्ना टीपू का विरोध न होता, संघियों की नज़र में हर मुस्लिम शासक इस देश का दुश्मन था| मैंने कई संघियों को शेर शाह सूरी तक को गालियाँ देते देखा हूँ| टीपू से नफरत इन्हें इसलिए है, कि उसने अंग्रेजों की तरफ से लड़ रहे त्रावनकोर मराठा पेशवा के विरुद्ध युद्ध किया और उस युद्ध में अंग्रेज और उनके साथियों की करारी हार हुई|
आप संघियों की वाल देखिये, आप नफ़रतवादियों के Tweets देखिये, उनके पेज देखिये! आपका दिमाग घूम जायेगा| आप उनके द्वारा फैलाई जा रही नफ़रत और झूठ का आधार देखिये, उनके द्वारा बनाई जाने वाली झूठी कहानियों को देखिये! उनके द्वारा टारगेट किये जाने वाले लोगों के नाम देखिये! इन नफरत के सौदागरों के द्वारा उपयोग किये जाने वाले एक-एक शब्द को देखिये! कई बार तो यूँ महसूस होता है, नफरत इनके रगों में भर दी गयी है| हद्द तो तब हो जाती है, जब ये नफ़रत घटिया कुतर्क पर उतर जाते हैं| इन्हें राष्ट्रनिर्माण से कोई मतलब नहीं, इनका देश के विकास से कोई सरोकार नहीं| इनका मुख्य एजेंडा सिर्फ और सिर्फ भारतीय समाज को मानसिक रूप से बांटने का है| एक दूसरे के प्रति घृणा और नफरत को हद्द दर्जे तक बढ़ावा देने की कोशिश करना इनका मुख्य उद्देश्य है| फिर उसके लिए जो बहाना मिल जाये,कभी किसी मुद्दे में समाज को उलझा देना और मौका मिलने पर लोगों को लडवाना इनका मुख्य उद्देश्य होता है! आखिर ये सब संभव कैसे हो पाया है? बात बहुत सीधी और सिंपल है| एक धर्म के अनुयायियों के अन्दर दूसरे धर्म के लोगों से खतरा बताकर एक प्रोपेगेंडा खड़ा करने की कोशिश की गयी, उसके लिए झूठी कहानिया और किस्से बनाए गए| उन जंगों का हवाला दिया गया, जिनमे दोनों तरफ से लोग मारे जातेहैं| फिर खुदको उनका हितैषी बताने की कोशिश की जाती है| आखिर कब तक इन नफरतवादियों के जाल में फंसते रहेंगे लोग! याद रखिये इन नफरत की दुकानों से सिर्फ एक ही चीज़ बिकती है, और वोह है इस देश की एकता और अखंडता को होने वाला नुकसान ! राष्ट्र की एकता और अखंडता को बरकरार रखिये! नफ़रतवादियों को करारा जवाब दीजिये!

जय हिन्द, जय भारत की एकता

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