किस रास्ते चल पड़ा है, मेरा प्यारा शांत ये वतन

महात्मा गांधी के सिद्धांतों और बुद्ध,महावीर व नानक की कर्मभूमि के रूप में मशहूर मेरा प्यारा ये वतन, शायद इसे किसी की नजर लग गई है| लगता है, जैसे भारत की एकता और अखंडता को किसी संकीर्ण  सोच ने तबाह और बर्बाद करने की साज़िश रची है| कभी भाषाई लड़ाईयां तो कभी मज़हबी झगड़े और कभी साम्प्रदायिक दंगों की आंच  से मेरे इस प्यारे मुल्क को जलाने और छिन्न-भिन्न करने की कोशिशों को अंजाम दिया जाता है| आखिर इस मुल्क को गांधी और  खान अब्दुलगफ्फार खान और नेहरु व आज़ाद ने मिलकर एकता के सूत्र में पिरोया था| आज़ाद भारत में सब आज़ाद थे, सबको अपने हिसाब से जीने के अधिकार थे| धर्म की बुनियाद पर पाकिस्तान का निर्माण हुआ तो भारत ने धर्मनिरपेक्षता की राह पकड के एक अलग इतिहास रचा| यही धर्मनिरपेक्षता आज़ाद भारत का गौरव बढाने की कारक साबित हुई|
                       1947 में बंटवारे के समय जो मनमुटाव हुए थे, देश की जनता ने उन्हें भूलकर एक साथ एक लम्बा वक्त बिताया और अपनी एकता और अखंडता की मिसाल पैदा की | नफरत के सौदागरों ने न जाने कितनी ही कोशिशें करी होंगी, पर देश की अखंडता को रत्ती भर नुक्सान पहुंचाने में कामयाब नहीं हो सके| आखिर ये किस दौर में चले आये हैं हम ? कि इन नफ़रत करने वालों की बातों में आकर हमने ऐसा ज़हर अपने दिल-व-दिमाग में भर लिया है| कि एक भारतवासी दुसरे भारतवासी को अपना दुश्मन समझता है, अफवाहों को बिना सोचे समझे सच मान लेता है| शायद महमारा मन भी अब उपद्रवी हो चला है, जो उपद्रवियों की हर बात को आँखें बंद करके मानता है| हमें गरीबी के मुद्दे गुस्सा नहीं दिलाते, हमें बलात्कार की घटना बड़ी नहीं लगती, औरतों पर होने वाले ज़ुल्म-व-ज़्यादतियां हमें नहीं हिलातीं| हम हिल जाते हैं, छोटी मोती अफवाहों से|ऐसी अफवाहें जिनका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं होता, पर हमारे दिमाग से उन्हें बहुत कुछ लेना व देना होता है| अफवाह का कोई माई-बाप नहीं होता!
                   न जाने कितनी ही बार मुल्क के हालत को बिगाड़ने की कोशिशे हुई हैं, पर देश की जानता ने तोड़ने वालों को अपनी एकता व अखंडता से एक कदा मैसेज दिया है| मसला ये नहीं है, की तोड़ने वाले समाज को तोड़ रहे हैं| बल्कि मसला ये है, की हम क्यूँ उनकी बातों पर आ जाते हैं! क्या हमारे पास दिमाग नहीं ? आखिर क्यूँ हम बर्बर हो जाते हैं, क्यूँ हम खुदको भीड़ का हिस्सा बनाकर भीडतंत्र को मजबूत करते हैं ! याद रखिये नफरत के सौदागरों को जवाब देकर ही हम गांधी व नानक के भारत को वापस एकता और अखंडता के सूत्र में पिरो सकते हैं|

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