संगीत सोम सिर्फ भड़का सकता है

मुज़फ्फरनगर दंगों का आरोपी और भाजपा विधायक संगीत सोम ने भड़काऊ बयान दिया है ! पर उस पर कार्यवाही नहीं होना, भाजपा और संघ के एजेंडे को उजागर करता है। 2013 में हुए  मुज़फ्फरनगर दंगें हों, या अभी ताज़ा दादरी का अखलाक़ हत्याकांड , इसे धार्मिक रंग देने में संगीत सोम और संघ के लोगों की एहम भूमिका रही है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।  दादरी के गाँव बिसाहडा में जो गैरजिम्मेदाराना बयान संगीत सोम के द्वारा दिया गया है, वोह सम्पूर्ण भाजपा की मानसिकता को उजागर करने के लिए काफ़ी है। संगीत सोम का यह बयान, उनकी मुज़फ्फरनगर दंगों में भड़काऊ भाषण व संलिप्तता को समझने के लिए काफ़ी है। 2013 में पश्चिमी उत्तरप्रदेश का माहौल बिगाड़कर, महज़ एक अफ़वाह से क़त्ल और उससे दंगे को अंजाम दिया गया था। मुज़फ्फरनगर दंगे कितने प्लानिंग के साथ किये गए थे, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि "बाक़ायदा एक पाकिस्तानी वीडियो को भारतीय बताकर" लोगों के बीच में वायरल किया गया और सीडीयाँ बांटी गई! फिर जनता को उकसाकर दंगे कराये गए।  इसके बाद उत्तरप्रदेश, दिल्ली व हरयाना में हिन्दू वोट  भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकृत हुआ था। कुछ ही दिनों में बिहार में वोटिंग है और फिर उत्तरप्रदेश का चुनाव भी करीब है !
                              संगीत सोम का बयान जिसमें उसने अखलाक़ के सम्बन्ध में कहा की सरकार गाय काटने वालों को पैसे दे रही है, वास्तव में हिन्दू वोटों को भड़काकर ध्रुवीकृत करने की साज़िश है। मुख्य आरोपी और उसके साथी गिरफ्तार कर लिए गए हैं।  मंदिर का पुजारी, जिसने माईक से ऐलान किया था वोह 3-4 दिन से गायब है।  गिरफ्तार किया गया युवक स्थानीय भाजपा नेता का पुत्र है।  अखलाक़ के परिवार को एयरफोर्स मिलिट्री क्षेत्र में बसाने की कोशिश में है, अखलाक़ का एक पुत्र एयरफोर्स में है।  अब संगीत सोम का यह बयान की गाय काटने वाले व्यक्ति को सरकार पैसा डे रही है, उनके लिए मुसीबत खड़ा कर सकती है।  क्योंकि फोरेंसिक जांच में वह बकरे का गोश्त निकला है।  ये देश का दुर्भाग्य है, की गांधी जी के देश में एक व्यक्ति को सिर्फ इसलिए क़त्ल कर दिया जाता है, की लोग एक अफवाह पर अपने आप का आपा  खो  बैठते हैं। 
साक्षी महाराज ने मुआवज़े को तुष्टिकरण कहा है, पर क्या यह वास्तव में तुष्टिकरण है ? खैर भाजपा तुष्टिकरण की राजनीति के साथ ध्रुवीकरण की राजनीति भी करती है। साथ ही भाजपा के बराबर कोई भी तुष्टिकरण की राजनीति करता, और वोह किसका तुष्टिकरण करती है , यह बताने की ज़रूरत नहीं !
संगीत सोम का बयान भी तुष्टिकरण का ही एक हिस्सा है।  संगीत सोम के बयान को अगर आप भड़काऊ नहीं कहते हैं, तो शायद आप अनदेखा कर रहे हैं या जानबूझकर उसे क्लीन चित देने की कोशिश।  खैर भाजपा में हमेशा से दंगाइयों को उच्च स्थान देने की प्रक्रिया रही है।  जो जितना बेहतर तरीके से जनता को उकसा और भड़का सकता है, उतना ही बड़ा भाजपा नेता कहलाता है।  

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