भगदड़ जान

एक भगदड़ के बाद का दृश्य 

हो सकता है,आप टाईटल देख कर अजीब सा महसूस कर रहे हों ! कि आखिर ये भी कोई टाईटल है, ये कैसा शीर्षक "भगदड़ जान"। मसला यही है, कि टाईटल भगदड़ जान है। वैसे ये है क्या,मुझे भी नहीं मालूम !
बैठे-बैठे भगदड़ और उसमें जाने वाली जानों के बारे में सोच रहा था, फिर एक ख़याल आया कि ज़िन्दगी से तेज़ तो मौत है, "कब आती है और कब चली जाती है" पता ही नहीं चलता !
                  जान भी एक भगदड़ की तरह है, इतनी जल्दी और तेज़ी से सब कुछ गुज़रता है। कि इससे पहले आप कुछ समझ पाते, हाहाकार मच जाता है। हाँ ऐसा हाहाकार की आप की आँखें चौंधिया जाती हैं, आखिर ये हो क्या गया ? सब कुछ तो ठीक था। अभी हम सब हंस रहे थे, बोल रहे थे। आखिर ये क्या हो गया ? क्या जान भी भगदड़ की तरह होती है? इसका सवाल लगभग हाँ ही होगा। आखिर सब कुछ इतनी तेज़ी से जो होता है, कभी शेर को शिकार पे झपटते देखा है? अगर नहीं तो छिपकली को अपना खाना खाते ज़रूर देखा होगा! अगर देखा है, तो शीर्षक समझ में आ जायेगा कि मौत एक भगदड़ की तरह आती है। आई और गई, कुछ देर बाद पता चलता है, कि सब कुछ ख़त्म हो गया। "भगदड़ जान" दुनिया का बहुत बड़ा सच है, इसका इनकार कैसे करोगे ! नहीं कर सकते, तो बताओ कोई एक्सीडेंट देखे हो? जवाब "हाँ" हो या "ना", पर इतना तो है एक्सीडेंट "भगदड़ जान" का एक बड़ा उदाहरण है! समय रहते कुछ अच्छा कर जाना बेहतर है, नहीं तो  जान  का  क्या भरोसा, कब चली जाए। चलो तो अब हम भगदड़ जान से  होशियार हो जाएँ !
                कुछ दिन पूर्व में भी यही हुआ, पहले तो क्रेन हादसा फिर उसके बाद  मिना  में शैतान को कंकनी मारते वक्त्त हुई भगदड़  में 800 लोग मारे गए। मारे जाने वालों को बिलकुल भी एहसास नहीं था, कि कुछ ही देर में उनकी मौत उनके करीब होगी और जान उनसे जी चुरा कर भाग जायेगी । वह उसका शिकार हुए, थोड़ी ही देर में चीख पुकार मच गयी, ख़ुशी का माहौल गम में तब्दील हो गया। करें गिरने के पूर्व का एक वीडियो व्हाट्सएप पर खूब वायरल हुआ, जिसमें एक महिला नमाज़ पढ़ रही थी और उसके दो बच्चे उसके आसपास खेल रहे थे । अचानक उस तूफ़ान के असर से करें गिरती है और क्रेन की टक्कर से गिरने वाले मलबे की चोट से के दोनों बच्चों की जान उनका साथ छोड़ देती है। यही तो है "भगदड़ जान"! 

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