ऐसा करने वाले मोदी जी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं

जब व्यक्ति को खुद अपने पद की गरिमा का ख्याल ना हो, तो शायद दूसरे लोग भी उसके पद की गरिमा का ख्याल नहीं करते। ऐसा ही कुछ है,हमारे प्रधानमन्त्री जी के साथ ! उन्हें अपने पद की गरिमा का ख्याल नहीं है, इसलिए कई बार ऊंट पे टांग (ऊंट पटांग) कार्यशैली से वोह खुद का मज़ाक बनवाने से नहीं चूंकते! क्या आपने गौर नहीं किया आयरलैंड में बच्चों ने संस्कृत के श्लोक के साथ उनका स्वागत किया तो महोदय वहाँ भी अपने चुनावी सभा मोड वाले अंदाज़ में भाषण दे आये। किसी महापुरुष ने कहा है,कि सोच व समझकर बोलने वाले व्यक्ति का मज़ाक़ नहीं बनता। रही बात उनकी जो बोलने के बाद सोचते हैं, वोह मज़ाक के पर्याय बन जाते हैं। एक बार सोचिये और बताईये की विदेश भूमि में देश के सम्बन्ध में इस तरह की बात भारत के इतिहास में किस प्रधानमन्त्री ने की है। सवाल देश की गरिमा का है, देश के इतिहास में ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि किसी श्लोक़ या धार्मिक वंदना या किसी अन्य धर्म की कार्यविधियों से किसी कार्य के आरंभ का किसी ने विरोध किया हो!
                                 वैसे भारत के इतिहास में ऐसा तो आजतक नहीं हुआ, और मान लीजिये हुआ होता तो भी प्रधानमन्त्री जी को देश के बहार देश को अपमानित करने वाले इन शब्दों "कि अगर ये हमारे देश में होता तो, धर्म निरपेक्षता खतरे में पड़ जाती" । क्या इन्हें इतना नहीं पता कि भारत में अधिकतर सरकारी कार्य पूजा या द्वीप प्रज्ज्वलन के बाद ही शुरू किये जाते हैं,और किसी भी सरकारी निर्माण कार्य का भूमि पूजन के बाद शुरुआत होती है। आज तक किसी ने भी इसके विरुद्ध कुछ कहा नहीं, फिर ये आधारहीन आरोप जिससे देश का अपमान होता है, क्यों विदेश के धरती में कहकर मोदी जी देश और खुदका अपमान करवा रहे हैं ? इससे पहले भी चीन के दौरे के समय शंघाई में भारतियों की एक सभा को संबोधित करते हुए मोदी जी कह गए थे "कि मेरे प्रधानमन्त्री बनने से पूर्व लोगों को भारतीय होने में शर्म आती थी।
देश का इस तरह  का अपमान भारतीय इतिहास में कभी नहीं हुआ, हर चीज़ को पहली बार करने वाले नरेंद्र मोदी जी  "विदेशों में भारत का अपमान करने वाले देश के पहले प्रधानमन्त्री हैं" तो समझ गए ना आप , ऐसा करने वाले मोदी जी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं । 

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