आखिर सच जुबां पर आ ही गया

आखिर सच जुबां पर आ ही गया, आरएसएस ने कहा है कि पेटलावद काण्ड में उसके 10-12 स्वयंसेवक मारे गए हैं! वैसे उन्होंने ये बात अपने बचाव पर कही है, पर अब यही बात उन्हें कटघरे में खड़ी कर रही है! प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव जी पर आरएसएस के द्वारा पेटलावद काण्ड पर मानहानि का दावा करना और संघ का स्वयं सेवक और घटना का मुख्य आरोपी कांसवा का घटना के बाद से फरार होना! संघ की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा करता है! ऐसा नहीं है,कि संघ पहली बार किसी आतंकी घटना में लिप्त पाया गया है! गांधी जी की हत्या से लेकर सैंकड़ों दंगों और घटनाओं में आरएसएस के लिप्त होने की ख़बरें किसी से छुपी नहीं हैं! फिर मालेगाँव ब्लास्ट, समझौता एक्सप्रेस और मक्का मस्जिद ब्लास्ट के आरोपियों कर्नल पुरोहित,असीमानंद और साध्वी प्रज्ञा जैसे आतंकवादियों के सम्बन्ध भाजपा और आरएसएस के नेताओं से सुनने को मिल जाते हैं! कई न्यूज़ पेपर्स ने तो आतंकवादी प्रज्ञा ठाकुर के साथ दिग्गज भाजपा नेताओं के फोटो भी प्रकाशित किये हैं! खैर आतंकवाद तो आतंकवाद है फिर आतंकी सिमी का हो या आरएसएस का, देश को दोनों तरह के अतिवादियों और आतंकवादियों से खतरा बना रहता है! पेटलावद काण्ड के बाद एक सवाल और जनमानस में गूँज रहा है, कि कुछ वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के नांदेड में संघ और बजरंग दल के कार्यकर्ता जिस तरह से बम बनाते हुए ब्लास्ट होने से मारे गए थे, कहीं पेटलावद की घटना कुछ उसी प्रकार की घटना तो नहीं? आखिर इतनी भारी मात्रा में जिलेटिन की छड़ें और डेटोनेटर आये कहाँ से? बारूद इतनी भारी मात्रा में आया कहाँ से ? कुछ दिन पूर्व गायब हुए बारूद के ट्रकों का सम्बन्ध कहीं पेटलावद घटना से तो नहीं ?

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