क्या आप महिला सुरक्षा के मुद्दे पर भी पक्षपात करते हैं

क्या आपका रुसूख आपके गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए काफी है। लगता तो ऐसा ही है, जब बात महिलाओं की सुरक्षा या उन्हें न्याय दिलाने की होती है, तब यह मामला और भी गंभीर हो जाता है। कभी कभी हम महिलाओं की सुरक्षा को लेकर या उनकी आवाज़ को उठाने को लेकर महिला-महिला में ही पक्षपात कर बैठते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है, जब किसी बड़े शहर में लड़कियाँ रेप की शिकार होती हैं तब हम बड़े ही ज़ोर शोर से प्रोटेस्ट करते हैं। मोमबत्तियाँ जलाते हैं, टीवी न्यूज़ से लेकर हर जगह हल्ला होता है। पर जब यही सब छोटे शहरों में होता है तो हमें कोई मतलब नहीं होता, क्योंकि हमें मीडिया अटेंशन नहीं मिलता। बड़े बड़े न्यूज़ पेपर में कवरेज नहीं मिलता। हम और हमारा समाज प्रचार का भूखा है, हम आगे आकर लड़ना नहीं चाहते। देश के हर राज्य में महिला अत्याचार अपनी चरम सीमा पर है। पर हमें बस दिल्ली और मुम्बई तक सीमित रखने की कोशिश होती है। म.प्र., राजस्थान और गुजरात में सर्वाधिक रेप और अन्य महिला अत्याचार की घटनाएँ देश में सर्वाधिक हैं। क्या इन राज्यों की सरकारों पर दबाव बनाने की कोशिश नहीं कर सकते आप। याद रखिये देश एक बड़े बिगाड़ की और अग्रसर है, एक ऐसा बिगाड़ जिसका सम्बन्ध सीधे तौर पर मानसिक स्थिति से है। अब आपकी सक्रियता ही कुछ बदलाव ला सकती है। तो बदलाव का हिस्सा बनिए। इंसाफ की माँग देश के हर कोने में बुलंद करिये।

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