राहुल गांधी के नए कलेवर से पार्टी कार्यकर्ताओं में आई जान

सवाल बहुत थे, कि अब क्या होगा ? कांग्रेस की दशा बदलेगी या फ़िर वही पुराना ढर्रा चलेगा। सवालों के बीच में एक और सवाल था, कि आखिर राहुल गांधी अचानक छुट्टी पर कैसे चले गए। जबकि इस वक़्त पार्टी को सहारे की आवश्यक्ता थी। एक के बाद एक हार से थके हारे पार्टी कार्यकर्ता को अपने नेता से मिलने वाली उस ऊर्जा की आवश्यकता थी, जो पार्टी में जान फूँक दे। पर अचानक सबकी आशाएँ कहीं खो रही थीं, कि अब कुछ नहीं हो सकता। कार्यकर्ता थक चुके थे।

        अचानक कुछ ऐसा हुआ कि पूरी पार्टी में जान आ गई। बात 19 अप्रैल 2015 की है, कांग्रेस की किसान और खेत मज़दूर की रैली में भीड़ उमड़ आई। क्योंकि पार्टी के चहेते नेता अपनी छुट्टियाँ ख़त्म कर वापस लौटे थे। वक़्त था किसानों की आवाज़ को दमदार तरीके से उठाने का, राहुल गांधी का भाषण शुरू हुआ और जैसे लोगों ने एक नए राहुल गाँधी को देखा। एक ऐसे राहुल गांधी को, जिसमे आक्रमकता थी, दूरदर्शिता थी साथ ही एक पैनापन था। जो अपने भाषण से कभी राजीव गांधी तो कभी इंदिरा गाँधी की याद दिला रहे थे। एक ऐसे राहुल गाँधी को जनता ने सुना, जो गरीबों, किसानों और आदिवासियों के हित के लिए एक क्रान्ति का आगाज़ कर चुके थे। बात वर्तमान की करते हुए किसानों के भविष्य की चिंता भी साथ थी। पार्टी कार्यकर्ताओं में भाषण के बाद एक नयी जान आ चुकी थी।
        इतना सब होने के बाद राहुल गांधी चुप नहीं हुए, उन्होंने अपनी मुहीम संसद में भी जारी रखी। किसानों के समर्थन मूल्य होया अन्य मुद्दे, दमदार अंदाज़ में राहुल गांधींने अपनी बात रखी। ट्विटर पर भी #RahulRoar ट्रेंड करने लगा। अगले ही दिन राहुल गांधी फिरसे बोले पर इस बार इंटरनेट की आज़ादी के मुद्दे पर राहुल गांधी सरकार पर बरस पड़े। देश का आम नागरिक राहुल जी के इस अंदाज़ से बहुत खुश हुआ, जैसे लगा कि राहुल गाँधी अब लंबी पारी के घोड़े के रूप में मैदान में उतरे हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश दुगुना होता गया। जैसे जैसे राहुल गाँधी की एक्टिविटी बढ़ती गयी, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में ऊर्जा उसी गति से बढ़ती गयी।
      अचानक राहुल गांधी केदारनाथ के लिए निकल पड़े इस बार अंदाज़ भी गजब का था, 21 कि.मी. की पदयात्रा करने के पश्चात राहुल जी केदारनाथ पहुँचे और आपदा में मृत श्रीद्धालुओं को पैदल चलकर सम्मान दिया। अगले ही दिन राहुल गांधी ने जो किया उससे पूरा विपक्ष हिल उठा। राहुल गांधी सचखंड एक्सप्रेस के जनरल डिब्बे में सफ़र कर पंजाब पहुँचे। ट्रेन में युवाओं से मुलाक़ात की, फिर पंजाब में किसानों से मिलकर उनके मुद्दों को समझा और अगले ही दिन संसद में पंजाब के किसानों के मुद्दे को उठाया। फिर शाम को महाराष्ट्रा पहुंचकर अगले ही दिन अमरावती ज़िले के पीड़ित किसान परिवारों से मुलाक़ात की, जिनके घर वालों ने फांसी लगा ली थी। किसानों से मिलकर उनकी समस्याओं पर चर्चा की, फिर पदयात्रा कर किसानों से अलग अलग स्थानों पर मुलाक़ात की। एक किसान के घर रूककर भोजन किया।
        राहुल गांधी के इस नए रूप में पार्टी कार्यकर्ताओं में एक जान आ गयी है। जैसे मृत पड़े लोगों को किसी ने ऑक्सीजन का सिलेंडर दे दिया हो। राहुल गांधी का ये नया रूप कांग्रेस के लिए कितना फायदेमंद साबित हो रहा है, इसका अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं। कि ट्विटर में राहुल गांधी के लिए #KisaanMitraRG ट्रेंड हुआ।

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