जनविरोधी राह पर भाजपा सरकार

बात तो की जाती थी, देश की दशा और दिशा बदलने की पर अब, जब भी बात पलटी मारने वालों की होगी तो, इस केंद्र सरकार का नाम सर्वे सर्वा होगा। बात ही कुछ ऐसी है, सिर्फ दस माह पुरानी इस मोदी सरकार का पूरा रिकार्ड उठाईये। चुनाव पूर्व जिस FDI का विरोध करते थे, उसे सिर्फ अपनाया ही नहीं, बल्कि UPA की तय सीमाओं से आगे जाकर FDI को कई क्षेत्रों में 100 प्रतिशत तक लागू करने की तैयारी कर ली है। अपने सैद्धांतिक मुद्दों को ताक में रख दिया और 370 को भूल गए , सबका साथ- सबका विकास वाला नारा भी काले धन वाले जुमले की तरह प्रतीत हुआ।

पाकिस्तान के द्वारा सीज़फायर का उल्लंघन करने पर माकूल जवाब देना तो दूर की बात, छोटी छोटी घटनाओं पर ट्वीट करने वाले प्रधानमन्त्री महोदय का कोई ट्वीट भी नहीं आया।
जब बात किसानों की आई तो कई भाजपा शासित राज्यों में किसानों को गेहूं व धान में मिलने वाला समर्थन मूल्य कम कर दिया गया। इतना ही नहीं " भूमि अधिग्रहण क़ानून" में अध्यादेश के ज़रिये किसान विरोधी बदलाव किये जाने की पूरी तैयारी कर ली है। कभी कभी इस सरकार को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, कि सरकार कारपोरेट के इशारे पर चल रही है।
            कश्मीर में 370 के मुद्दे से भाजपा का पीछे हटना, BJP + PDP सरकार के द्वारा अलगाववादियों की रिहाई जैसे और भी कई मुद्दे हैं। जिस पर भाजपा सरकार और भाजपा की पहचान अब एक यू-टर्न पार्टी और यू-टर्न सरकार के रूप में सामने आई है। अब देखना बाकी है, कि और किन किन मुद्दों में भाजपा सरकार पलटी मारेगी।

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