मौका परस्ती के हिसाब से गिरगट रंग बदलता है,मगर जब इंसान ये सब करने लगें तो उन इंसानों को ढोंगी कहा जाता है।

धर्मनिर्पेक्ष बनने का नाटक करना आसान है, और धर्मनिर्पेक्ष होना बहुत मुशकिल है। मौका परस्ती के हिसाब से गिरगट रंग बदलता है,मगर जब इंसान ये सब करने लगें तो उन इंसानों को ढोंगी कहा जाता है। वोट फोर ईण्डिया का नारा दे रहे थे साहेब । मगर पूर्वोत्तर मे हेड्गेवार वाला रंग लेकर आये । कह रहे थे, बांग्लादेशी हिंदू मजबूरी वश आते हैं और कुछ लोग (मुस्लिम) राजनीतिक रूप से आते हैं। बांग्लादेशी हिंदुओं को बसाना हमारा कर्तव्य है। धिक्कार है तुम्हारी इस फासीवादी सोच पर! महाशय बांग्लादेशी सिर्फ बांगला देशी ही है, और पाकिस्तानी सिर्फ पाकिस्तानी है। ये कौन सा पैमाना है कि अगर बांग्लादेशी और पाकिस्तानी हिंदू है, तो भारत की नागरिकता दे दो और मुस्लिम है तो नही। ये तो कोई पैमाना नही हुआ । अब जो जहाँ रह रहा है, वोह वहीं का हुआ ना! बांग्लादेशी और पाकिस्तानी सिर्फ बांग्लादेशी और पाकिस्तानी हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इस घिनौनी राजनीति की शुरुआत की! याद रखिये जो लोग पाकिस्तान और बांगलादेश से घुसपैठ करके देश मे रह रहे हैं, वोह घुसपैठी हैं। फिर वोह हिंदू हों या फिर मुस्लिम । ये देश भारतियों का है। उन भारतियों का जिन्होने आज़ादी के बाद इसे चुना । उन भारतियों का जिन्होने इस देश की आज़ादी के लिये अपनी जान क़ुरबान की! अगर कांग्रेस अल्पसंखयक कल्याण की बात करे तो वोह तुष्टिकरण और ये क्या है, जो आप बांग्लादेशियों को उनका धर्म देखकर बसाने की बात कर रहे हो। असल तुष्टिकरण तो ये है कि भारतियों के कल्याण की योजनाओं के खिलाफ उनके धर्म के आधार पर केस लडते हो और विदेशियों को उनका धर्म देखकर बसाने की बात करते हो!

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