कुछ लोग सिर्फ विरोध और नफरत की राजनीति जानते हैं!

विरोध और हल्ले की राजनीति करने वाले जिनका कभी देश के विकास से नाता नही रहा, आज खुद को सबसे बडे प्रगतिवादी बताने की कोशिश करते हैं। मगर इतिहास गवाह है कि जब-जब देशहित मे संसद मे कोई बिल लाया गया, जिसके पास होने पर देश को एक नयी दिशा मिली, हर उस बिल का इन संघियों ने विरोध किया। नेहरू जी जब संसद मे भाखडा नंगल बांध के बनने पर खुशी ज़ाहिर करते हुये भाषण दे रहे थे, नहरू जी ने कहा था ” आज देश के लिये बहुत बडी खुशी का दिन है, अब हम बांध के पानी से बिजली बनायेंगे फिर उस पानी को सिंचाई के लिये नहरों के सहारे खेतों तक पहुंचायेंगे ! ” नहरू जी भाषण दिये तभी जनसंघ के नेताओं ने बडी बचकाना बात कहते हुये विरोध किया कि ” बिजली मे पूरी शक्ति लग जायेगी तो फसल के किस काम का होगा पानी” । ये उस समय भी अपने ज्ञान की वजह से थू-थू करवाते थे।
लाल बहादुर शास्त्री जी और श्रीमति इंदिरा गांधी के समय मे भी कई महत्वपूर्ण बिलों और फैसलों का विरोध किया गया था । राजीव गाधी जी ने जब देश को आईटी से परिचित कराया तो यही संघी और भाजपाई इनका विरोध करते थे। “ये कहते थे कि ये प्रधानमंत्री कम्प्यूटर से खेती करेगा” । विरोध का सिलसिला स.प्र. ग. प्रथम के समय भी देखने को मिला जब परमाणू करार और नरेगा का विरोध किया गया। ये सिलसिला खाद्य सुरक्षा कानून पर भी दिखा । सूचना के अधिकार जैसे क्रांतिकारी कानून का विरोध भी करने से ये हिचके नही। 2011 मे दंगा विरोधीबिल लाया गया उसका भी विरोध हुआ । एफडीआई का विरोध किया ! एक बात और देश मे इन मुद्दों से हटकर एक चीज़ हुयी , गांधी जी के रास्ते पे चलते हुये जब-जब अल्पसंखयक कल्याण की बात हुयी,तब-तब इसका विरोध हुआ। भाजपा और संघ ने देश के बहुसंख्यक समाज को गुमराह करते हुये अल्पसंखयक से तात्पर्य सिर्फ मुस्लिम बताया। जबकि इस देश मे अल्पसंखयक की परिभाषा मे मुस्लिम,सिख,इसाई, पारसी,बौद्ध,जैन आते हैं, और सिंधियों की 282 जातियों को भी अल्पसंखयक की श्रेणी मे लाने की तैयारी चल पडी है। भाजपा और संघ कितने बडे अल्पसंखयक समाज के विरोधी हैं, इसका सबसे बडा उदाहरण ये है कि गुजरात सरकार उच्चतम न्यायालय मे अल्पसंखयक कल्याण की योजनाओं के विरुद्ध केस लड रही है। गुजरात से पिछले साल 300 किसानों को अपनी ज़मीन से बेदखल किया । अब जो अल्पसंखयक समाज के कल्याण को तुष्टिकरण का नाम दे, आखिर उस पार्टी और उस विचारधारा पे शक क्यों न किया जाये। विरोध और नफरत की राजनीति करने वाले,मेरे गांधी के इन हत्यारों ने देश मे तुष्टिकरण नाम का एक शब्द खूब प्रचारित किया। देश की भोलीभाली जनता को भडकाया और अपना वोट बैंक तैयार किया ।
भाजपा की राजनीति कैसे चलती, अगर इस देश मे मुस्लिम न होते?? संघ और भाजपा के लोग एक टर्र लगाये रहते हैं कि मुस्लिम मुख्य धारा से बाहर हैं। अरे भाई आप लोग तो देश की मुख्य धारा मे आ जाओ। देश की मुख्य धारा से बाहर मुस्लिम नही बल्कि संघी हैं। जिन्हे एकता और अखण्डता पसंद नही! अफवाहों पे दिन और रात गुजरती है। जो सिर्फ मुस्लिम या पूरा अल्पसंखयक समाज (सिख,इसाई,बौद्ध,पारसी,जैन) के विरोधी नही बल्कि देश के बहुसंख्यक समाज यानी हिंदू विरोधी भी हैं। बहुसंख्यक समाज खूब जानता है, कि इन विरोध और नफरत की राजनीति करने वालों ने कैसे भगवान के नाम पर करोडों का चंदा और ईंटें हजम किये हैं। देश की जनता को इन्होने भावनात्मक रूप से बेवक़ूफ बनाया । आज बहुसंख्यक समाज इनसे हिसाब मांगता है। उस वक़्त तो लोगों ने सोने और चांदी की ईंटें भी दिये थे। आज लोहा और मिट्टी मांग रहे हैं।
अब देश जाग चुका है, जनता इन नफरत और विरोध की राजनीति करने वालों को पहचान चुकी है। देश नफरत नही प्यार और भाईचारा पसंद करता है। देश खोखले वादे नही,तरक़्क़ी और विकास की राह को पसंद करता है। देश दंगे नही बल्कि भारत निर्माण को पसंद करता है। देश कट्टरता और झूठ के मिलन से बनने वाली नफरत को नही देश मे एकता और भाईचारे से भरपूर युवा जोश को पसंद करता है।

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